يقــلُّ
عليــك
تمزيـق
القلـوب
|
فكيــف
يفيـك
تمزيـق
الجيـوب
|
ومثلــك
لا
ينــاح
لــه
بـدمع
|
اذا
لــم
يمــتزج
بـدم
صـبيب
|
بكيـت
عليـك
قبـل
البين
دهراً
|
مخافـة
مثـل
ذا
اليوم
الرهيب
|
فلـم
يغـن
البكـاء
ولم
يباعد
|
مســافة
ذلـك
المـوت
القريـب
|
عليــك
ســلام
ربـك
مـن
فقيـد
|
مضــى
مــتزوداً
حــب
القلـوب
|
رحلـت
فكـم
جفـون
فيـك
قرحـى
|
تركــت
وكـم
قلـوب
فـي
وجيـب
|
وكــم
خلفــت
مـن
فطـن
اديـب
|
ينــوح
علـى
فـتى
فطـن
اديـب
|
فـتى
كالسـيف
لـم
يلحقـه
فـلٌّ
|
ولـم
يعلـق
بـه
وضـر
العيـوب
|
غريبــة
دهـره
قـد
كـان
حـتى
|
رمـاه
الـدهر
بـالامر
الغريـب
|
مضــى
غــض
الصـبا
لكـن
فيـه
|
مضـاء
الكهـل
فـي
حلم
المشيب
|
فلــم
نفقـد
بـه
فـرداً
ولكـن
|
فقــدنا
فيـه
كـل
فـتى
اديـب
|
فــاي
صــفاته
نبكــي
وايــا
|
نعـــد
ولا
نقارنهـــا
بطيــب
|
بلاغــة
حجــة
فــي
حسـن
نطـق
|
ولطــف
فتــوة
فـي
عقـل
شـيب
|
ســـتبكيه
المحــابر
جــاعلاتٍ
|
مـدامعها
مـن
الحـبر
السـكوب
|
وتنـــدب
فقــده
الاقلام
حــتى
|
يكــون
صـريرها
بـدل
النحيـب
|
وترثيـه
المـروءة
وهـي
تـروي
|
حــديث
صـبائه
الغـض
الرطيـب
|
وتبكيــه
الكتابـة
والقـوافي
|
كمـا
نـاح
النسيب
على
النسيب
|
وتــذكره
الروايـات
اللـواتي
|
كسـاها
معلـم
الثـوب
القشـيب
|
وتــروي
ذكــره
فـي
كـل
نـادٍ
|
بمـا
يغنيـه
عـن
قـول
الخطيب
|
قـد
اعتـل
الصـحيح
لـه
فامسى
|
ينــوح
بـه
علـى
اوفـى
طـبيب
|
كما
اعتلت
له
النسمات
وهي
ال
|
صـــحيحة
دون
منتقــد
مريــب
|
فقـــدناه
واي
فــتى
فقــدنا
|
لحـــل
مشـــاكل
وجلا
كـــروب
|
هـوى
بالسـفح
مـن
لبنـان
طود
|
لــديه
كــل
طــود
كــالكثيب
|
وجــل
مصــابه
عــن
كـل
خطـب
|
فلــم
يغـنُ
التأسـي
بـالخطوب
|
عهـــدتك
لا
تــرد
نــداء
داع
|
ولا
تلقــاه
بــالوجه
القطـوب
|
فمالــك
لا
تجيــب
نـداء
طفـل
|
وانــت
دعـوته
باسـم
الحـبيب
|
ولا
تلــوي
لعرسـك
وهـي
ثكلـى
|
وكنـت
مواسـياً
ثكلـى
الغريـب
|
ولا
ترثــي
صـباك
وكنـت
ترثـي
|
بشــعرك
كــل
مفقــود
لــبيب
|
فمـن
لقـرائح
الشـعراء
تـأتي
|
بمثـل
قريضـك
السـامي
العجيب
|
تقاضـانا
الرثـاء
اليـك
خطـب
|
يقــول
لانفـس
الشـعراء
ذوبـي
|
ولكنــي
رثيتــك
بالــذي
قـد
|
بقـي
مـن
بحـر
علمك
من
نصيبي
|
أنـوح
عليـك
نـوح
فقيـد
علـم
|
ونــوح
اخ
ونــوح
ابـن
ربيـب
|
وهيهــات
البكـاء
يفيـك
لكـن
|
اليــه
منتهــى
جهـد
الكئيـب
|