عمـاد
الفضـل
عـززت
البلادا
|
فعـدل
ان
تكـون
لهـا
عمادا
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ملكـت
قلـوب
اهليهـا
فعهدي
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بهـا
ترعى
لمالكها
الودادا
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فاصـبحت
المعـارف
فـي
رواج
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وكـانت
سوقها
تشكو
الكسادا
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ونـالت
فيـك
بيـروت
الأماني
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فكيـف
اليوم
تحتمل
البعادا
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وكـم
لـك
عنـدنا
من
معجزات
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وكـم
غمـرت
فضائلك
العبادا
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اتيـت
بلادنـا
فغرسـت
فيهـا
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مبـادئ
نجتني
منها
الرشادا
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لعمـر
الحـق
انـك
خيـر
وال
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نـرى
فـي
عهـده
الاصلاح
سادا
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ونجمـك
في
بروج
السعد
يزهو
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ومجـدك
يبلغ
السبع
الشدادا
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فيـا
للـه
مـا
اشـقى
وداعاً
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بكيـت
لـه
فـابكيت
الجمادا
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وقفـت
لـديك
مضـطرباً
كئيباً
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ونـار
حشـاي
تتقـد
اتقـادا
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وجئتـك
منشـداً
أبيات
الشعر
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ومـا
أودعتهـا
إلا
الفـؤادا
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فراقـك
يـا
خليـل
المجد
مر
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ولكـن
هكـذا
المـولى
أرادا
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تســير
مخلـداً
أثـرا
جميلا
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يـذكرنا
المـرؤة
والسـدادا
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تسـير
وفـي
بلاد
الشرق
تبقي
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محامـد
مـا
لها
أبداً
نفادا
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ولا
ينســاك
يـا
مـولاي
شـعب
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غـدوت
له
لدى
البلوى
عمادا
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ولـي
قلـم
مجيـد
ضـمن
كفـي
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ولـولا
جـود
كفـك
مـا
أجادا
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يسـرك
بـذل
مالـك
ان
قصدنا
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حمـاك
وانت
لا
تبغي
اقتصادا
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وقفـت
عليـك
مبتكـرات
نظمي
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وحسـبي
مادحـاً
شـهماً
جوادا
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ورمـت
رضـاك
وهـو
أعـزُّ
شيء
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فحـزت
برغـم
أعداي
المرادا
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سـانظم
بعـد
بعـدك
كـل
يوم
|
قصـيداً
فـي
مـديحك
مستجادا
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واجعـل
ذكـر
فضلك
لي
نصيراً
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علـى
زمني
إذا
رام
العنادا
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رعاك
اللَه
طول
الدهر
يا
من
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صروح
العلم
في
الأوطان
شادا
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لانــت
ملاذنـا
عنـد
البلايـا
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واكـرم
مـن
بصنع
البر
جادا
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لقـد
جاهـدت
للسلطان
فابشر
|
بـأن
تجزى
كمن
ألف
الجهادا
|
مليــك
ظـافر
فـي
كـل
قطـر
|
رايـت
لظـل
رايتـه
امتدادا
|
فيـا
رب
الكمـال
إليـك
منا
|
دعــاء
كــل
حيـن
مسـتزادا
|
وحـق
فـي
وداعـك
ان
أنـادي
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عمـاد
الفضـل
عـززت
البلادا
|