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لسـرى
خيالـك
لـو
اصـاب
رقـادا
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ولــدام
حبــك
لـو
ادام
فـؤادا
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علمتنـي
السـلوان
من
برح
الصبا
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والشــيء
ينقــص
قـدره
ان
زادا
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الا
ســـليمان
الابـــاظي
الــذي
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مـا
زاد
فـي
العليـا
الا
ازدادا
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مـن
معشـر
تخذوا
السروج
مجالساً
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جعلـوا
لهـا
سـمر
الصعاد
عمادا
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النافــذين
صــوارماً
وســواعداً
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والســابقين
فوارســاً
وجيــادا
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والنــابغين
مكارمــاً
وقرائحـاً
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ينســين
نابغـة
الزمـان
زيـادا
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ينقـــاد
جمعهـــم
لاروع
ماجــد
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يعطـي
المكـارم
مـن
يديه
قيادا
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يتقلــد
المعـروف
منـه
معاطفـاً
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فتخــاله
فــوق
النجـاد
نجـادا
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يهفـو
الـى
فعـل
الجميـل
تحببا
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ويخــاله
قبــل
المعـاد
معـادا
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وافٍ
مـتى
ابـدى
الوعـود
اعادها
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نجحـاً
وان
بـدأ
الجميـل
اعـادا
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بعض
الورى
سادوا
وما
شادوا
لهم
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ذكـراً
وهـذا
الشـهم
سـاد
وشادا
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تلقــاه
ابكـار
القـوافي
خشـعاً
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وتخــاف
منــه
مهــذباً
نقــادا
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وتـراه
ان
ظلـم
المشـاكل
اطبقت
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القــى
عليهــا
فكـره
الوقـادا
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يقضـي
النهـار
مجالسـاً
ومساجلاً
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ادبـــاً
ويقطــع
ليلــه
اورادا
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يـا
ايهـا
الشـهم
الـذي
بمديحه
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اعيـى
المـراد
واعجـز
المرتادا
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يفـديك
كـل
فـتى
اذا
اسـتنديته
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فكأنمــا
اسـتنديت
منـه
جمـادا
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خبـث
الـورى
طبعـاً
فعـد
لئامهم
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زمــراً
وعــد
كرامهــم
افـرادا
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وقـد
انفـردت
اليوم
عن
افرادهم
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بخلال
جــود
مــا
تعــد
فــرادى
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انجـزت
لـي
وعـداً
فصـرت
حـب
ان
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تغــدو
جميــع
مــاربي
اوعـادا
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ووثقــت
عنـدك
بالنجـاح
فخلتـه
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قـد
صـار
رهـن
انـاملي
او
كادا
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ولقـد
وفيـت
بمـا
وفيـت
وربمـا
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لقـي
الكريـم
جزا
الوفاء
فعادا
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وجـزاك
عنـدي
الباقيـات
خوالداً
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تفنـــي
طريفــاً
دونهــا
وتلادا
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شــرد
كمالــك
فـي
البلا
وانمـا
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رجعــت
اليــك
محامــدا
وودادا
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دعيـت
اوابـد
فـي
الزمـان
لانها
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تفنــي
العصـور
وتقطـع
الابـادا
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لا
فخــر
الا
انهــا
بــك
نظمــت
|
ان
الاضـــافة
تكســب
الاســنادا
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