اذهــب
بلا
وجــل
ونـاد
رؤوفـا
|
تبصـر
رؤوفـا
ينجـد
الملهوفـا
|
فيـه
الرجا
فاشرح
مصائبك
التي
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قـد
جرعتـك
مـن
العـذاب
صنوفا
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واشـك
الـذي
ابلى
فؤادك
بالأسى
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واراد
ســلبك
مــذ
رآك
ضـعيفا
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وإذا
توعــدك
العـداة
فلا
تكـن
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مـن
معشـر
حسبوا
الوعيد
مخيفا
|
فلقـد
وقفـت
لـدى
وزيـر
عـادل
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اضــحى
برقــة
قلبــه
موصـوفا
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مـازال
عـن
كـل
العيـوب
منزهاً
|
حــتى
غــدا
بكمــاله
معروفـا
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رحبــت
بــه
هـذي
البلاد
لأنهـا
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عرفتــه
شـهماً
للثبـات
اليفـا
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وتعــززت
بعلــومه
وهـو
الـذي
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للعلــم
والعرفـان
ظـل
عريفـا
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قـد
زاد
فـي
بيروتنا
شرفاً
كما
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قد
كان
في
القدس
الشريف
شريفا
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وأنــاله
عبـد
الحميـد
مكانـة
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أهـدت
إليـه
مـن
الهبات
الوفا
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يــا
خادمــاً
بأمانـة
سـلطانه
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أمسـيت
للشـرف
الرفيـع
حليفـا
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انـي
نظـرت
الشمس
كاسفة
البها
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ولشـمس
مجـدك
مـا
نظـرت
كسوفا
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ولأنــت
مشــغوف
بحــب
نجاحنـا
|
مـا
دام
قلبـك
بـالعلا
مشـغوفا
|
يـا
فاعل
المعروف
انت
نصير
من
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فــي
كـل
أرض
يـزرع
المعروفـا
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فلكــم
تركـت
الحاسـدين
بغصـة
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ولكـم
سـطوت
وكـم
رغمـت
أنوفا
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فإذا
اعتدى
احد
تزود
عن
الضعي
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ف
مجــرداً
ســيفاً
يفـل
سـيوفا
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سـيف
العدالـة
لا
يفـر
المعتدي
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منـه
ولـو
كـان
العـداء
طفيفا
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يلقـى
المسـيء
جـزاء
كل
إساءة
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ولـذاك
لا
يجـد
الجـزاء
خفيفـا
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مــولاي
هــاك
قصــيدة
ضـمنتها
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معنـى
مـديحك
حيـث
كـان
لطيفا
|
فالشـعر
يكتسـب
الفصاحة
مادحاً
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مــن
كـل
مثلـك
عـاقلاً
وحصـيفا
|
انت
الرؤوف
بكل
من
يشكو
البلا
|
ولاجــل
ذلـك
قـد
دعيـت
رؤوفـا
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