عســى
أن
يلــم
الشــمل
بعــد
تبـدد
|
عشــية
هـذا
اليـوم
أو
ضـحوة
الغـد
|
ويطـوى
بسـاط
الهجـر
مـن
بعـد
نشـره
|
ويلبـــس
مطــوي
الوصــال
المجــدد
|
وتــأتي
مــن
الأحبــاب
صــولة
منصـف
|
فتخمـــد
للواشـــين
فتنــة
معتــد
|
وتقــرأ
آيــات
مــن
العتــب
بيننـا
|
فينســخ
منهــا
الــود
كــل
توعــد
|
ســقى
عهــدهم
صــوب
الحيـا
وسـقاهم
|
وإن
هــم
ســقوني
كــأس
هجـر
مـزرد
|
ليـــالي
نســـقى
بالمســرة
أكؤســا
|
دهاقــا
ولا
نخشــى
الرقيــب
بمرصـد
|
ونخلــو
ومــا
غيـر
العفـاف
نـديمنا
|
حليفــي
ومــا
مــن
نــائم
ومســهد
|
أنــزه
فــي
خــد
الحــبيب
نــواظري
|
وأكحلهـــا
مـــن
عارضــيه
بإثمــد
|
ليـالي
لا
تغضـى
العيـون
علـى
القـذا
|
وليسـت
تـرى
فيمـا
تـرى
غيـر
مسـعد
|
فللـــه
ذاك
العهــد
حســنا
كأنمــا
|
أعيــد
لــه
طبــع
المهــذب
أحمــد
|
فــتى
قــد
تنـاهى
فـي
محاسـنه
غـدا
|
رســول
أميــر
المــؤمنين
المؤيــد
|
فغـــرب
وشــرق
لســت
تبصــر
مثلــه
|
وأتهــم
إذا
مــا
شــئت
ذاك
وأنجـد
|
رقــاق
المعــاني
واليــراع
لطيفــة
|
فهــل
ملكــت
للفكــر
منــه
ولليـد
|
يفتــــح
مـــن
آرائه
كـــل
مغلـــق
|
يضـــيق
بــه
رب
الحســام
المهنــد
|
يجـــود
لرقيـــاه
البخيــل
بمــاله
|
فقــد
مـد
مـن
فصـل
الخطـاب
بمنجـد
|
فكــم
مشــعر
قـد
غيـر
الظلـم
رسـمه
|
وعــاد
لــه
حســن
البنـاء
المشـيد
|
وأنجــد
أســرى
المســلمين
وكتبهــم
|
وأيـــد
ديـــن
اللــه
كــل
مؤيــد
|
وشــــيد
للإســــلام
عـــزا
ممنعـــا
|
وكـــل
بتوفيـــق
الإمـــام
محمـــد
|
ومــا
أنــا
إلا
مــن
غزيــة
إن
غـوت
|
غـــويت
وإن
ترشـــد
غزيـــة
أرشــد
|
وهــل
تصــلح
الأعضـاء
والقلـب
فاسـد
|
وأنــى
تــرى
عقــدا
بــدون
مقلــد
|
أغــزال
هــذا
العصــر
مـن
رق
غزلـه
|
لـه
العـذر
إن
لـم
يكفـه
غيـر
عسجد
|
كمـــدحك
مولانـــا
وقطـــب
بلادنـــا
|
وبــدر
علاهــا
بيــن
نســر
وفرقــد
|
فلســـت
وقـــد
أبصـــرته
وســـمعته
|
وخـــاطبته
فـــي
مـــدحه
بمقلـــد
|
تناســبتما
اســما
وارتقـاء
وسـؤددا
|
وفضــلا
وفــي
خلــق
كريــم
ومحتــد
|
فيــا
فخــر
آفــاق
الكمـال
وأنتمـا
|
معـــا
قمراهـــا
لائحيـــن
لمهتــد
|
فللمجــد
دومــا
يــا
رضـيعي
لبانـة
|
عزيزيــن
محفــوظين
مــن
كيـد
حسـد
|
أجاريــك
فــي
مـدح
وإن
كنـت
سـابقا
|
ومـن
ذا
الـذي
جـارى
الريـاح
بأجرد
|
فـــأنت
إذا
جليـــت
غيـــر
منــازع
|
وإنـــي
إذا
صـــليت
غيـــر
مفنــد
|
فصـل
فـي
الأعـادي
صـارما
وابـن
صارم
|
ودم
للمعالي
مفردا
مفردا
وابن
مفرد
|
ولا
زال
ذاك
المجـــد
واللــه
حــافظ
|
لــه
مــوردا
يحلــو
علـى
كـل
مـورد
|