يــا
نسـيماً
أتـى
بريّـا
الـورد
|
حـــيّ
قــبراً
مكرّمــا
ذا
مجــد
|
قــبر
رب
مــولى
المـوالي
إلـه
|
قــد
تســامى
جــوداً
ببـذلٍ
وود
|
برضــاه
قــد
مــات
فـوق
صـليب
|
لينتجــي
الأنــام
طــرّا
ويفـدي
|
دُفــن
الــرب
خانعـاً
فيـه
ثمّـت
|
قــام
منــهُ
حيّــا
بعــزِ
وسـعد
|
وإلـى
أخـدار
السـماء
ارتقى
ذا
|
المصطفى
المفتدي
المعيد
المبدي
|
يــا
لقـبرٍ
قـد
نـمّ
منـه
أريـجٌ
|
فــاق
طيبــاً
أريــجَ
مسـكٍ
ونـد
|
عــرّف
النــاسَ
عرفــهُ
وهــداهم
|
بـل
غـدا
عرفـهُ
إلى
القدس
يهدي
|
رنـده
قد
أولى
البرايا
انتعاشاً
|
وبــدا
عيشــها
بــذاك
الرنــد
|
فـي
حمـاهُ
مـا
يُكسب
الروح
روحاً
|
مــن
نضــور
وحســن
شــكل
وورد
|
بلغــي
يــا
صــبا
حمـاهُ
سـلامي
|
وانشـري
ما
في
القلب
من
طي
وجد
|
فــاليهِ
نفســي
تميــل
دوامــا
|
بهيــام
فــي
حــال
قـرب
وبعـد
|
وجنـــاني
إلــى
زيــارته
فــي
|
فــرط
شــوقٍ
مفســرا
مـا
عنـدي
|
يـا
نسـيمات
الصـبح
سيرى
الينا
|
مــن
ربــاه
لا
مـن
روابـي
نجـد
|
وبريّـــاك
أنعشـــي
قلــب
صــبٍ
|
مــا
لشــوقِ
بقلبــه
مــن
حــدّ
|
فبريّــــاك
وحــــدها
لجريـــحٍ
|
خيــرُ
طــبّ
وعيــشُ
ميــتٍ
بلحـد
|
بـأبي
قـبرٌ
يمنـح
الخـالق
نشرا
|
وبنفســـي
ســـنا
ذراه
أُفـــدي
|
فتــوارى
فيــه
المســيح
ولكـن
|
قـد
تبـدّى
منـه
لنـا
نـور
رشـد
|
يـا
لـه
فـي
ذاك
الحمى
من
مزارٍ
|
منــه
يبـدو
الهـدى
لحـرٍ
وعبـد
|
أنــــه
للعُفـــاة
مخـــزن
رزق
|
ولمــن
يبغــي
مـن
سـخاه
يجـدي
|
منهــل
النعمــى
للنفــوس
ووردٌ
|
للصـــوادي
للـــبر
أعــذب
ورد
|
منــه
للخــاطنين
أولــى
متـاب
|
فينـــالون
منــه
أوطــد
قصــد
|
منــه
للتــائبين
أولــى
حيـاة
|
فيحــوزون
منــه
اكليــل
مجــد
|
يــا
رعــى
اللَــه
أرض
جلجلــةٍ
|
حيــن
حـوته
حـوت
نفـائس
عقلـو
|
زان
منهــا
ربوعهــا
والمغـاني
|
فغــدت
فــي
أبهـى
وشـاح
وبُـرد
|
منــه
نـورٌ
بـدا
أنـار
الأقاصـي
|
كلهــا
فــانثنت
بــه
تســتهدي
|
يــا
إلهـي
أنـي
لفـي
كـرب
مـن
|
عظــم
ذنــبي
ومـن
عـدوّي
وضـدّي
|
فـإلى
عـون
منـك
أحتـاج
فـارفق
|
بهــواني
وامــدد
إلــيّ
الأيـدي
|
ســيّدي
مُنقــذي
إلهــي
نصــيري
|
خــالقي
راحمــي
وعلّــة
ســعدي
|
مُنيــتي
لــذّتي
ســروري
حبـوري
|
راحــتي
قرقفــى
وشـهدي
وقنـدي
|
أصــل
فخـري
معيـن
ذخـري
وعـزّي
|
وســلامي
وطيــبُ
عيشــي
ورغــدي
|
احمنـي
تحـت
بنـد
رحمتـك
الخـا
|
فــق
ألـف
الهنـا
بـذاك
البنـد
|
فــإلى
القــرب
مــن
علاك
أجــدّ
|
السـير
جـد
لـي
بنَيـل
غاية
جدي
|
وتقبّــل
عبــدا
أتــاك
وســامح
|
أن
تُســامح
فيـا
هنـائي
ومجـدي
|
وتعطّــف
علــيّ
وارفــق
بحــالي
|
وأنلنـي
خيـر
اللقـا
بعـد
بُعدي
|
لاســمك
القـدّوس
المبـارك
اجثـو
|
كـــل
آنٍ
ثُمّـــت
اخصــّك
حمــدي
|