مـن
عذيري
على
اتباع
الغواني
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فهــواهنّ
عــن
رشـادي
غـواني
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كلمـا
رمـت
مـن
غرامـي
خلاصـا
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يجــذب
القلـب
للخطـا
بعنـان
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يـا
فـؤادي
واللـه
لست
فؤادي
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إن
بـدت
منـك
رغبة
في
الحسان
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يـا
مريـداً
مـع
الـذنوب
سماء
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عمــرك
اللَــه
كيـف
يلتقيـان
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خـل
عنـك
الجنون
واندب
زمانا
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رحـت
فيـه
كالهـائم
الولهـان
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نفــد
العمــر
منـك
إلّا
قليلا
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فــإلى
مــا
تميـس
كالسـكران
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إنمـا
المـوت
حيـث
كنـت
قريب
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فـاترك
اللهـو
فالحمام
مداني
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يــا
خليلــي
إننــي
لمســيء
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فاسـعداني
بالنوح
أو
ساعداني
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إنمـا
ادمعـي
مـن
الخـوف
حمر
|
فاعبقـاني
من
شربها
واصبحاني
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نفـد
الـدر
مـن
حـديثي
ونظمي
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فنــثرت
الــدموع
مـن
مرجـان
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وإذا
مــا
رأيتمــا
نفـذ
الآ
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حــر
منــي
فـأجملا
وابكيـاني
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أنـا
نحـو
الصـلاح
نكـس
جبـان
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وإلــى
الشـر
فـارس
الميـدان
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بئس
دهــرا
جريــت
فيـه
إلـى
|
كـــل
قبيـــح
مشــمر
الأردان
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لـــك
منــي
ندامــة
ونفــور
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يـا
زماني
الذي
مضى
يا
زماني
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فــــذنوبي
أوقرتنــــي
حملا
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وجنــاني
بالأصـل
أصـل
جنـاني
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أتـرى
بعـد
ذاك
هـل
لـي
شفيع
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يرتضــيني
بمنحــة
الغفــران
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ليــس
الاك
عاضــدي
يــا
وحـي
|
د
الآب
والجنس
والقنوم
الثاني
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إنّ
لـي
فـي
رضـاك
يـا
رب
حقا
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إذ
تردّيـــت
حلّـــة
الإنســان
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فـــاعني
لا
تــتركني
وحيــدا
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إذا
أمــي
ووالــدي
تركــاني
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واعـف
عـن
حوبـتي
وجهي
وانظر
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لانكســـاري
وذلّــتي
وهــواني
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