أمــن
الفــراق
ومــن
عـذول
لاحـي
|
تذرىالــــدموع
بمـــدمع
ســـحاح
|
أو
لا
فلــم
منصـور
سـلطان
الهـوى
|
قـــاض
عليـــك
بمـــدمع
ســـفاح
|
ومــن
الــذين
رزئت
يـوم
رحيلهـم
|
بفـــراق
قلـــب
عرضــة
الاتــراح
|
ســلوكه
مــن
يــوم
سـارت
عيسـهم
|
تطـــوى
حــزون
تتنــآئف
وبطــاح
|
وســقوك
مـن
خمـر
الفـراق
مدامـة
|
تركتــك
ذا
ســكر
وعقلــك
صــاحي
|
واهـا
لمـا
صـنع
الفـراق
وما
شوى
|
تلــك
القلــوب
بزنــده
القــداح
|
لــو
كنـت
إذ
آن
القـراق
وعربـدت
|
تلــك
الرفــاق
بســكرها
الفضـاح
|
وغــدت
تقطــر
مثــل
دمــع
أحمـر
|
أمــــالهم
عنـــد
البلاج
صـــباح
|
ونحــت
بهــن
مـن
الشـآم
هـداتها
|
نحــو
الحجــاز
ورنــده
الفيــاح
|
وحـداتها
فـي
الركـب
غنـت
من
نوى
|
عشــــاق
ذات
منــــاطق
ووشـــاح
|
لشــهدت
أن
الــروح
سـالت
أدمعـا
|
ورأيـــــت
أجســـــاما
بلا
أرواح
|
مهلا
زمـاني
قـد
كفـى
مـا
قـد
جرى
|
ولقـــد
ملكـــت
فمــن
بالاســجاح
|
مــا
هــذه
يــا
دهــر
أول
غـدرة
|
قصــيت
فيهــا
بــالفراق
جنــاحي
|
إن
أمـس
فـي
تلـك
الرحـاب
مرويـا
|
تلــك
الرســوم
بمــدمعى
السـحاح
|
فلكــم
ركضـت
جـواد
لهـوى
بينهـا
|
فـــي
حـــالتي
روض
لــه
وجمــاح
|
وســعيت
مـا
بيـن
الربـوع
مجـررا
|
ذيــل
الخلاعــة
باحتســاء
الـراح
|
واطعــت
داعــي
صـبوتي
لمـا
دعـا
|
ورفضـــت
نســكى
واطرحــت
صــلاحي
|
مـا
زلـت
اسـعى
فـي
متابعة
الهوى
|
فــي
كــل
أمســاء
وفــي
أصــباح
|
أمــا
إلــى
حسـن
الشـمائل
أغيـد
|
يفــتر
عجبــا
عــن
شــنيب
أقـاح
|
يرنـــو
إليــك
بفــاتر
إحــداقه
|
بغنيــك
مــا
فيهــا
عـن
الأقـداح
|
أو
للـــتي
إن
لاح
بــارق
ثغرهــا
|
فـي
الليـل
أغناهـا
عـن
المصـباح
|
غيـــــداء
ذات
قلائد
ومنـــــاطق
|
عطبولـــة
غرثـــى
الوشــاح
رداح
|
ثـم
انقضـت
تلـك
السـنون
وأهلهـا
|
وتنغصـــت
مــن
بعــدهم
أفراحــي
|
ثـم
اسـتنرت
منـاهجي
لمـا
انجلـت
|
تلــك
الغيــاهب
واســتبان
فلاحـي
|
فنزعــت
كفـى
عـن
مبايعـة
الهـوى
|
وتركــت
اســهم
ميسـرى
وقـد
أحـى
|
ورجــوت
غفــر
جرائمــي
بمـدائحي
|
فـــي
مقصــد
الأدبــاء
والمــداح
|
ذاك
الــذي
نتجــت
هجــان
أصـوله
|
مــن
معشــر
غــر
الوجــوه
صـباح
|
مـن
حـل
فـي
العليـاء
أعلـى
منزل
|
مـــا
أملتـــه
عــزائم
الطمــاح
|
صـدر
النـدى
وغيـث
أنـواء
النـدى
|
فــي
حــالتي
فخــر
لــه
وســماح
|
يهــتز
فــي
يــوم
العطـاء
كـأنه
|
نشــــوان
هزتــــه
ســــلافة
راح
|
مـن
بـذّ
مـن
الـف
الحضارة
والفلا
|
مــن
مـا
ضـغى
القيصـوم
والأشـياح
|
بشـــوارد
قــد
قيــدت
فصــحاءهم
|
ونـــوافث
ســحر
اليبــان
فصــاح
|
حـتى
اغتـدوا
وهمـا
كـأن
عقـولهم
|
ســـلبت
بســـحر
للعقــول
متــاح
|
ثـم
اسـتبانوا
ان
مـا
قـد
جـاءهم
|
جـــد
تنــزه
عــن
قبــول
مــزاح
|
وأصــابهم
حسـد
النفـوس
وحـاولوا
|
إغلاق
بـــاب
مـــن
لـــدى
فتــاح
|
فهنــاك
اضــحوا
مســكتين
حقيقـة
|
مـــذ
كلمـــوا
بصــوارم
ورمــاح
|
أكــرم
بليلــة
جمعــة
لمـا
أتـى
|
فيهــا
البشــير
مخــبرا
بنجـاحي
|
أوحــى
إلــى
بــأن
مــا
نظمتــه
|
في
المصطفى
الهادي
الشفيع
الماحي
|
هبــت
عليــه
مـن
القبـول
نسـيمة
|
فـــي
روض
إنــس
بالرضــا
نفــاح
|
فـافقت
مـن
سـنة
المنـام
وقد
نفى
|
طيــف
الهمــوم
يبقظــة
الأفــراح
|
ذاك
الــذي
لـولاه
مـا
رقصـت
بنـا
|
إذ
غـــــرد
الحـــــادي
قلاص
طلاح
|
ولمــا
اغتـدت
عشـاقه
مـن
سـيرها
|
شـــحب
الوجــوه
وهــزل
الأشــباح
|
مـن
أمـه
إن
فـي
كشـف
خطـب
مثقـل
|
فلقــد
نجــا
مــن
كربـه
الفـداح
|
أزجيــت
نجـب
مـدائحي
تسـرى
إلـى
|
رحبـــات
فضـــل
للوفــود
فســاح
|
وحططــت
رحلــي
إذا
نخــت
ببـابه
|
وحمــدت
ســيري
حيــن
لاح
صــباحي
|
يــا
مــن
لــه
علـم
تنـزه
نقلـه
|
مـــن
رقــم
ادراج
ومــن
الــواح
|
كـن
منقـذي
ممـا
جنيـت
فـأنت
مـن
|
يرجــى
ويقصـد
فـي
ابتغـاء
نجـاح
|
صــلى
عليــك
اللَــه
ربــي
كلمـا
|
قصـــدت
حمــاك
ركــائب
النــزاح
|
وعلــى
جميــع
الآل
أخـدان
الوفـا
|
مــن
كــل
خــرق
للنــدى
مرتــاح
|
وعلــى
جميـع
الصـحب
خطـاب
العلا
|
بصـــداق
ســمر
أو
مهــور
صــفاح
|
مـن
كـل
مـن
بلـغ
السـماء
فخـاره
|
فــي
يــوم
ســلم
أو
مقـام
كفـاح
|
المسـرعين
إلـى
اللقـا
يوم
الوغا
|
مــن
كــل
أعــزل
أو
كمــي
ســلاح
|
الطــائلين
علـى
العـدى
بصـفاحهم
|
العارضــــين
عـــوالى
الأرمـــاح
|
مــازينت
دهــم
الزمــان
فعـالهم
|
بمحاســـن
التحجيـــل
والأوضـــاح
|