نعــم
سـفر
القمـر
البـاهر
|
فهــا
هـو
فـي
أفقـه
زاهـر
|
ســماء
لـه
قـد
غـدت
دجلـة
|
وبرجـا
لـه
الكلـك
المـاخر
|
فطـار
يمينـا
بجنـح
الشمال
|
وهـل
يسـبق
الشـمأل
الطائر
|
أذا
لـك
فلـك
علـى
مـا
جرى
|
تســـرَّب
أم
فلـــك
ســـائر
|
وشــرَّف
بغــداد
فــي
مـورد
|
بــه
بشـر
الـوارد
الصـادر
|
يقــل
بمحفظــة
مــن
فخـار
|
نشــانا
بــه
جــوهر
فـاخر
|
وحظـا
شـريفا
بـه
قـد
جـرت
|
يــد
بحــر
أحسـانها
زاخـر
|
يد
الملك
القطب
عبد
المجيد
|
عليهـــا
أثيــر
العلا
دائر
|
حــوى
مــن
نعــوت
نجيبيـة
|
وأثنيـــة
مجـــدها
بــاهر
|
بتأييـد
حكـم
بقطـر
العراق
|
وتســـديد
رأي
لــه
عــامر
|
ووالـده
ذو
النـوال
المديد
|
عبـاب
الندى
الكامل
الوافر
|
نجيـب
الـولاة
حميـد
الصفات
|
نقـي
الـردا
الطيـب
الطاهر
|
تقلــد
هـذا
النشـان
الـذي
|
بــه
أنعـم
الملـك
الناصـر
|
ورتـــب
ديـــوان
إِجلالـــه
|
وكــلَّ
أكــف
الــدعا
ناشـر
|
وأقـــرأ
كـــاتب
انشــائه
|
مثــالا
شــذا
نشــره
عـاطر
|
فطــال
الــدعا
لظـلِّ
الالـه
|
وأمَّـن
فـي
المحفـل
الحاضـر
|
وفـــاز
المحــب
بمحبــوبه
|
وليـــس
لعـــاذله
عـــاذر
|
أبـو
عفـة
عن
دنايا
الفعال
|
لطــي
النـوال
هـو
الناشـر
|
بكشـف
الكـروب
وستر
العيوب
|
يقـال
لـه
الكاشـف
السـاتر
|
أفـاخر
فـي
مـدحه
الفرقتين
|
فهــل
منهمــو
أحــد
شـاعر
|
فلا
مــن
تســنن
لــي
ضـاير
|
ولا
مــن
تشــيع
لــي
غـاير
|
ولا
نــاثر
مــا
أنـا
نـاظم
|
ولا
نــاظم
مــا
أنـا
نـاثر
|
وأحمــد
شــكري
علـى
فضـله
|
ومثلـي
جميـع
الـورى
شاكرض
|
تهنــى
العــراق
بتشــريفه
|
هنــاء
بــه
يشـرح
الخـاطر
|
فخـص
العـوام
وعـمَّ
الخـواص
|
ســرور
علــى
كلهــم
ظـاهر
|
لكــــل
بأنضـــاره
حصـــة
|
يسـاوي
بهـا
الغائب
الحاضر
|
ويســتوعب
الكـل
فـي
لحظـة
|
كـــذلك
ان
رمــق
النــاظر
|
فقـل
للـذين
بغـوا
واعتدوا
|
أتـى
مـن
بـه
قطـع
الـدابر
|
فسـوق
النفـاق
نفاق
الفسوق
|
بــه
كاســد
مــاله
تــاجر
|
أمـا
قـد
سـمعتم
ببيت
قديم
|
رواه
عــــن
الأول
الآخــــر
|
إذا
جـاء
موسى
وألقى
العصا
|
فقـد
بطـل
السـحر
والسـاحر
|
مـن
السـحر
تلقف
ما
يأفكون
|
ولا
يفلــح
السـاحر
المـاكر
|
فلا
زال
فــي
دهــره
نـادرا
|
كمـا
أنـا
فـي
زمنـي
نـادر
|