لــك
ألــف
معبـود
مطـاع
أمـره
|
ماضـي
الحكومـة
غائبـاً
وشـهيدا
|
وتقــودك
الشـهوات
طوعـاً
نحـوه
|
دون
الإلــه
وتــدعي
التوحيــدا
|
فــي
كــل
آن
لا
تــزال
متابعـا
|
لهـــواك
طفلاً
ناشــئاً
وتليــدا
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ويـرى
الشـقاوة
فـي
سـعادة
جده
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سـفها
كمـا
يجـد
الشـقي
سـعيدا
|
خـالف
هـواك
وحـالف
التقوى
فذا
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للمـوت
شـيبك
قـد
أتـاك
بريـدا
|
وامهـد
لقـبرك
إنما
الحسنى
بها
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تقضـي
لمـن
قـد
أحسـن
التمهيدا
|
فصـعود
أعلى
الخلد
بالعمل
الذي
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لــولاه
يرهقــك
الإلــه
صــعودا
|
والليـل
قمـه
مـع
الذين
تبتلوا
|
لِلّـــه
فيـــه
ركعــاً
وســجودا
|
واصحب
ذوي
التقوى
تكن
منهم
وبن
|
عمــن
تلفــع
مـن
شـقاه
بـرودا
|
واجهـد
بكسـب
العلم
نفسك
قاصداً
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وجــه
الإلــه
لتـدرك
المقصـودا
|
فـالعلم
أربـح
متجـر
فـي
أهلـه
|
يــوليهم
غــب
المزيــد
مزيـدا
|
وحســاب
نفســك
لا
تــدعه
غفلـة
|
واحـذر
رقيبـاً
بعـد
ذا
وعتيـدا
|
واحــذر
ذنوبـاً
أدبـرت
لـذاتها
|
قــد
أوقفتــك
مصــفداً
مجهـودا
|
وازهـد
بـدنيا
قـد
تقلـص
ظلهـا
|
لتقيــل
ظلاً
فــي
غــد
ممــدودا
|
وبهـا
فمـت
مـن
قبـل
موتك
إنما
|
بـالموت
تحيـي
مـا
حييـت
سعيدا
|
فــالموت
يــأتي
بغتــة
وفجـأة
|
ويـراه
ذو
الأمـل
البعيـد
بعيدا
|
إمـا
رقـدت
بخمـرة
اللهـو
التي
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انســتك
لـذة
سـكرها
التسـهيدا
|
فلســوف
تنتبـه
انتباهـة
مزعـج
|
لا
تســتطيع
ولــو
حرصـت
رقـودا
|
لا
تعبـــأن
إذا
حســدت
فإنمــا
|
يلقـى
الكريم
على
العلى
محسودا
|
هـذا
بـه
يسـمو
وهـذا
لـم
يـزل
|
متكـــأداً
ممــا
بــه
مكــدودا
|