نــأى
فــأومى
لتــوديعي
باشـفاقي
|
رشــا
أهـاج
غـداة
الـبين
أشـواقي
|
وعنــدما
أمــن
الواشـي
سـرى
عجلا
|
نحــوي
لأجـل
اعتنـاقي
سـير
أعنـاق
|
سـاروا
فقلـبي
مـذ
جـد
المسير
غدا
|
يقفـو
الظعـون
وجسـمي
بالحمى
باقي
|
يكفكــف
الــدمع
مـن
عينـي
يدويـد
|
علــى
فــؤاد
لخــوف
الـبين
خفـاق
|
هـب
يـوم
بينهـم
أبكـى
الجفون
دما
|
لكنـــه
ضـــم
مشـــتاقا
لمشــتاق
|
فســرت
خلفهــم
حــتى
كللــت
ولـم
|
أطــق
لمــا
بــي
علـى
رد
والحـاق
|
يـا
صـاحبي
أعيرانـي
الـدموع
فمـا
|
أبقـــى
فراقهـــم
دمعــا
لآمــاقي
|
وخـــبراهم
لئن
حـــالت
عهـــودهم
|
إنــي
مقيــم
علـى
عهـدي
وميثـاقي
|
أمسـيت
مـن
بعـدهم
مضـن
الحـش
أرق
|
داء
لعمـــرك
لا
يرجـــى
لـــه
راق
|
فيــا
لقلــب
بنـار
الهجـر
مضـطرم
|
ويـــالطرف
بمــاء
العيــن
دفــاق
|
يا
منية
النفس
ذابت
في
النوى
كبدى
|
فــامنن
ولــو
بخيــال
منـك
طـراق
|
أسـرت
قلـبي
وأطلقـت
الـدموع
دمـا
|
فلــم
أزل
منــك
فــي
أســر
وإطلاق
|
للــه
أيامنــا
بــالرقمتين
فقــد
|
كــانت
بهــم
مشــرقات
أي
إشــراق
|
أمسـي
وأصـبح
نشـوان
الفـؤاد
بهـا
|
فــي
فتيــة
نـاحلي
الأجسـاد
عشـاق
|
أقمــار
تــم
تيـار
الشـمس
بينهـم
|
علــى
يــدي
أغيــد
للقلــب
سـراق
|
شـــمس
تـــدار
بـــأكواب
وآنيــة
|
مـن
الـدراري
إدارتهـا
يـد
الساقي
|
كـم
ظـل
فيهـا
يعاطيني
المدام
رشا
|
مـن
عـذب
ريـق
لـداء
القلـب
ريـاق
|
رشــيق
قــدٍ
كغصــن
البـان
معتـدل
|
رقيــق
خــد
بمــاء
الحسـن
رقـراق
|
طــافت
بطلعتـه
بـدر
السـماء
كمـا
|
ســما
أبـو
الفضـل
فـي
علـم
وأخلاق
|
زاكـي
المفـاخر
محمـود
المـآثر
بل
|
هــادي
البرايــا
بلا
مــنّ
وإغـراق
|
كـم
روَّح
العلـم
من
بعد
الكساد
وكم
|
عـــم
الأنـــام
بألطــاف
وإشــفاق
|
فللهــدى
والنــدى
بـل
كـل
مكرمـة
|
قــامت
لعمـرى
بـه
سـوق
علـى
سـاق
|
أكـرم
بمجـد
فـتى
فـاق
الأنـام
نداً
|
وفــاق
حــتى
تســامى
بــدر
آفـاق
|
تســيل
كفــاه
أمــا
أزمــة
أزمـت
|
كالســحب
لكــن
بلا
رعــد
وإبــراق
|
فليــس
للســر
غلا
منــه
مــن
وطـن
|
وليــــس
للســــر
إلاه
بمصــــداق
|
ولـــم
يـــزل
دهــره
طلاب
مكرمــة
|
مـا
اعتـاق
عنهـا
وحاشـاه
بـأعواق
|
ذات
تجمــع
فيهــا
مــا
تفـرّق
مـن
|
علــــــم
وحلــــــم
وآداب
وأخلاق
|
جلــت
وعــزت
علا
حــتى
تقاصـر
عـن
|
إدراكهـــا
كـــل
نقـــاد
وحــذاق
|
صـفت
وطـابت
لـي
الأيـام
لـي
فكـأن
|
الــدهر
عنــي
فــي
قيــد
وإيثـاق
|
بــوده
خصــني
اللـه
الـودود
بلـى
|
مـا
الـود
بيـن
الـورى
إلا
بـأرزاق
|
أعــددته
لــي
حسـاما
تسـتطيل
بـه
|
كفـي
لـدى
الحـرب
إن
قامت
على
ساق
|
مــالي
سـواه
إذا
مـا
نـابني
خلـل
|
أو
جـار
يومـا
علـى
الـدهر
من
واق
|
أبــر
بــي
مــن
أب
بــر
وذي
رحـم
|
كـــأن
أعراقـــه
لفــت
بــأعراقي
|
أنـا
ابـن
مـن
خضعت
صيد
الملوك
له
|
خيـــر
الخلائق
فـــي
أوصـــاف
خلاق
|
يزهـو
بك
الدهر
يا
بدر
الكمال
كما
|
تزهـــو
الريــاض
بــأوراد
وأوراق
|
فكــم
وكـم
لـك
مـن
نعمـاء
سـابغة
|
طــوقت
جيـد
العلـى
منهـا
بـأطواق
|
حـويت
غـر
المعـالي
وارتقيـت
إلـى
|
أعلـى
المراقـي
فيـا
للـه
مـن
راق
|
فـدم
مـدى
الـدهر
فـي
نعماء
ناعمة
|
مــــن
واهـــب
منعـــم
الآلاء
رزاق
|