انظــر
إليهـا
تلـوح
كـالقبس
|
مـن
نـار
موسـى
بـدت
لمقتبـس
|
ضــاءت
شــهاباً
لرجـم
عفريـت
|
وبــرق
غيــث
همــي
بمنبجــس
|
اوغـرة
السـيد
الإمام
أبي
الأ
|
نــوار
مـن
بالأنـام
لـم
يقـس
|
خـامس
أهل
الكساء
من
ولذ
الأ
|
طهـار
مـن
قـد
خلا
مـن
الـدنس
|
يــا
حبــذا
بقعــة
مباركــة
|
حــوت
ضــريحاً
لعــالم
نــدس
|
تــاهت
بتعظيمهــا
علــى
ارم
|
فــاقت
بتقــديمها
علـى
قـدس
|
لـي
اشـتياق
فمـذ
حللـت
بهـا
|
غنيــت
فـي
انسـها
عـن
الأنـس
|
مــذ
سـيط
لحمـي
بحبـه
ودمـي
|
لـم
تخـل
نفسـي
منـه
ولا
نفسي
|
شـاهدت
فيهـا
بدر
التمام
بدا
|
فقلــت
نــور
الإلــه
فـاقتبس
|
يهـدي
البرايـا
بنـور
حكمتـه
|
يجلــو
ســناه
غيـاهب
الغلـس
|
إن
فــاه
نطقـي
بغيـر
مـدحته
|
فــاه
لســاني
بنطــق
محتبـس
|
أو
أننـي
فـي
سـواه
قلـت
ثنا
|
أبــدلني
اللَـه
عنـه
بـالخرس
|
مــن
قـام
للضـد
فيـه
مـأثمه
|
مـا
بيـن
ذاك
النضـال
والدعس
|
فأمسـت
الـوحش
منـه
فـي
فـرح
|
واصـبح
الطيـر
منـه
فـي
عـرس
|
سـل
عنـه
بـدراً
فكـم
بحملتـه
|
طــار
شــظايا
فـؤاد
ذي
شـرس
|
سـل
عنـه
أحـداً
فكـم
بوقعتها
|
مــن
طــائح
رائح
ومــن
نكـس
|
وســل
حنينــاً
عشـية
اشـتبهت
|
ظلمــة
ذاك
القتــام
بالـدمس
|
يـا
بـؤس
يـوم
لهم
به
التبست
|
نعــال
أفراســه
مــع
القنـس
|
هـذا
عـن
السـرج
خـر
منجـدلاً
|
ثـاو
وعهـد
الحيـاة
منـه
نسي
|
وذاك
بـالترب
قـد
مضـى
شـرقاً
|
وذا
قضــى
نحبـه
علـى
الفـرس
|
وأصــبح
الــبر
وهـو
بحـر
دم
|
فـالجرد
فيـه
تعـود
لـم
تطـس
|
لا
غـرو
بالسـابحات
لـو
وسـمت
|
فمــا
جــرى
حـافر
علـى
يبـس
|
يفــترس
الأســد
وهــي
شـيمته
|
أسـد
قـراع
الهيـاج
لا
الخيـس
|
يــا
فارســاً
فارسـا
لشـلوهم
|
كــم
فـارس
وهـو
غيـر
مفـترس
|
يكسـو
اليتـامى
ومـا
لصـارمه
|
عـار
ومـا
بـالغمود
قـط
كسـي
|
مجــرد
بــاليمين
ليــس
لــه
|
غيـر
اسـتلاب
النفـوس
مـن
هوس
|
اختـاره
اللَـه
للبتول
كما
اخ
|
تـار
لهـذا
السـما
ضيا
الكنس
|
وخـص
مـن
دونهـم
بهـا
وقد
اخ
|
تيـرت
لـه
مـن
حسـانها
الانـس
|
ردت
لــه
الشـمس
وهـي
منقبـة
|
فـي
يـثرب
قـر
محت
دجى
الغلس
|
كــذاك
فـي
بابـل
ومـذ
رجعـت
|
ســما
بهــاجرة
علــى
الشـمس
|
جـدد
رسـم
الهـدى
وقـد
طمسـت
|
آثــاره
واســتدام
فــي
نحـس
|
منـه
اسـتمد
السـعود
واتضـحت
|
اعلامــه
وهــو
غيــر
منطمــس
|
يكفيك
فخراً
ما
جاء
في
خبر
ال
|
طــاهر
تكليــم
خــالق
الأنـس
|
وكـم
أتى
في
علاك
من
مثل
الطا
|
ئر
صــدق
الحــديث
عــن
أنـس
|
ودسـت
كتـف
النـبي
أنـت
ومـن
|
بــاريت
فيــه
حضـيرة
القـدس
|
أصـبحت
دون
الـورى
الإمام
لذا
|
ســواك
كتـف
النـبي
لـم
يـدس
|
كسـرت
أصـنام
معشـر
لبسوا
ال
|
دهــر
أمــور
الأنـام
بـالبلس
|
فزلـت
ريـب
الشكوك
عن
وضح
ال
|
ديــن
فقـد
صـار
غيـر
ملتبـس
|
اليــك
وجهــت
همــتي
فعســى
|
ابــدل
حظــاً
بحظــي
التعــس
|
يـورق
عـود
المنـى
لـدي
لكـي
|
أعــود
والحــظ
غيــر
منعكـس
|
يـا
حاضـر
الميـت
عنـد
شـدته
|
محــك
أهــل
النقـاء
والـدنس
|
تعــرف
ســيماهم
ومـا
عملـوا
|
مـا
كـان
مـن
محسـن
بها
ومسي
|
عـد
بالجميـل
الـذي
تعود
على
|
مستمســك
فــي
ولاك
مــن
مـرس
|
وجـــد
علــى
وامــق
تضــمنه
|
أجـــداث
قـــبر
بــأربع
درس
|
عســى
أرى
ســييء
غـدا
حسـناً
|
مــن
رهــق
لا
أخــاف
أو
بخـس
|
يمـاط
سـكر
الغـواء
مـن
دنسي
|
فتطهـر
الـراح
مـن
أذى
النجس
|
فـانت
لـي
حـارس
وفيـك
قد
اس
|
تكفيــت
مـن
خيفـة
ومـن
وجـس
|
مـا
ضرني
صرت
مفرداً
وبك
استغ
|
نيــت
عــن
عـدتي
وعـن
حرسـي
|
كـن
شـافعي
عنـد
مـالكي
فبها
|
تيـك
الخطايـا
العظام
منغمسي
|
حاشـــاكم
تــتركون
مــادحكم
|
أحمـــد
بالــذنب
أي
مرتمــس
|
رضـا
بهـا
يرتجـي
لـديك
رضـا
|
هـاد
يرجـى
الهـدى
لذي
اللبس
|
جــواد
يرجـو
جـدواك
ملتمسـاً
|
فأقبـل
رجـائي
وعـد
بملتمسـي
|