سـطع
الكـأس
حيـن
وافى
السقاة
|
بمــدام
لــم
تحوهـا
الحانـات
|
طـاف
فيهـا
النـديم
يسعى
ولبى
|
للمحــبين
حيــث
نحــن
دعــاة
|
بمجـــالي
أســـراره
آنســونا
|
نــار
موسـى
وانسـنا
الكلمـات
|
فاقتبسـنا
نـوراً
بـذاك
التجلي
|
هـــو
واللَـــه
للحقيقــة
ذات
|
عجـز
الواصـفون
عـن
كنـه
معنا
|
ه
فــأني
تحيــط
فيـه
الصـفات
|
إن
هـذا
الهـدى
هـدى
اللَه
للع
|
شـاق
فلتهتـد
الحمـاة
الكمـاة
|
يــا
لأقـداح
وحـدة
جمـرة
اللا
|
هـوت
تـذكو
منهـا
لهـا
جـذوات
|
لاح
صــبح
الفلاح
فيهـا
لـذا
دا
|
نــت
لتجلـي
همومنـا
الكاسـات
|
فلأرواحنـــا
لــديها
ارتيــاح
|
ولا
شـــباحنا
لهـــا
نفحـــات
|
إن
تـراءى
لهـا
الزجـاج
حجاباً
|
لا
حجابــاً
بــل
ذا
لهـا
مـرآت
|
هكـذا
البـدر
ليـس
يحجبـه
بعد
|
كمـــال
مــن
نــوره
الهــالات
|
قبــس
ذاك
مـن
سـناه
اسـتعارت
|
مزدهــى
صــفو
نـوره
النيـرات
|
أم
نجـوم
تطـرز
الفلـك
الثامن
|
فيهـــا
أنوارهـــا
مزهـــرات
|
أم
ضـياء
القدس
استنارت
باشرا
|
ق
وذا
قلبنـــا
لـــه
مشــكاة
|
أم
نـبي
للحسـن
قـد
نزلـت
فيه
|
عليـــه
منـــه
بـــه
آيـــات
|
أم
بريــق
مــن
در
ثغـر
حـبيب
|
قـام
يـزري
بـالبرق
أم
سـبنات
|
أجنـــان
الفــردوس
لاح
عــبير
|
مــن
شــذاها
أم
هــذه
وجنـات
|
أتـــرى
مثلــه
رشــيق
قــوام
|
شــبه
غصــن
مـالت
بـه
لفتـات
|
بشـــرونا
بوصــله
فاستضــاءت
|
منــه
أرجـاء
صـقعنا
والجهـات
|
جمـع
اللَـه
فيـه
نـوراً
ونـاراً
|
لــي
علـى
مـا
ادعيتـه
إثبـات
|
نــار
خــديه
ثـم
نـور
محيـاه
|
فلـــي
مــن
ســناهما
قبســات
|
وكـذاك
الـبيت
الـذي
هـو
فيـه
|
مســـتظل
رقــت
بــه
الأبيــات
|
ســعرت
تحتــه
الجحيــم
وفيـه
|
يــا
لقـومي
الأنهـار
والجنـات
|
يــا
حبيبـاً
حلـت
بقلـبي
منـه
|
حيــن
حيـاني
بالسـلام
الحيـاة
|
مـذ
رأيـت
الجمـال
فيـك
تناهى
|
قلـت
حقـت
علـى
الحـبيب
الصلاة
|
قبلــتي
وجهــك
السـني
فمـالي
|
لســواه
أنــي
أولــي
التفـات
|
فامنـح
الضـم
ثـم
صاح
وبالكسر
|
تثنــى
فمــا
النــدامى
صـحاة
|
دم
أميراً
على
الملاح
كما
البدر
|
منيــراً
تزهــو
بــك
الأوقــات
|